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बहू के मायके से मिली एक बकरी से अब तक कमाए 9 लाख रुपए

नीरज सचान

बाँदा। गरीब किसानों और खेतिहर मजदूरों के लिए बकरी पालन हमेशा से आय का अच्छा साधन रहा है। उत्तर प्रदेश, झारखंड, राजस्थान समेत कई राज्यों में यह बकरियां उनकी जरूरतों को पूरा करने का उन्नत स्रोत है। 

यूँ तो बकरी पालन की सफलता की अनेक कहानियां हैं। ऐसी ही एक कहानी है उत्तर प्रदेश के बाँदा ज़िले के गांव छोटी बड़ोखर में रहने वाले बद्दन की। जिन्होंने अपनी बहू के मायके से मिली एक बकरी से 14 वर्षों में लगभग नौ लाख रुपये की आमदनी प्राप्त की। जानकारी के अनुसार पहले उनकी आर्थिक स्थिति ठीक थी। लेकिन पारिवारिक बंटवारे के चलते जब उनकी आर्थिक स्थिति कमज़ोर हुयी तो वो बहू के मायके से मिली एक बकरी ले आये। जिसे देने के लिए बहू की मां ने संकल्प लिया था।  

बद्दन बताते हैं कि उनके पास चार बीघा ज़मीन भी है, पर बकरी पालन ही उनका मुख्य व्यवसाय है जिससे उनको आर्थिक लाभ होता है। उन्होंने बताया कि देशी नस्ल की एक बकरी से पालन शुरू किया था। इस समय 35 बकरियां और बकरे हैं, जबकि नौ लाख रुपए की बकरे व बकरियां बेच चुके हैं। वह बताते हैं कि कभी उनको एक लाख की तो 70 से 80 हज़ार रूपए की आमदनी हो जाती है। करीब 10 बजे वह सभी बकरियों को खेतों में चराने जाते हैं और शाम को लौटते हैं, यानी कि पूरी तरह से उनकी सेवा में व्यस्त रहते हैं। 

वहीँ बड़ोखर खुर्द के प्रगतिशील किसान प्रेम सिंह भी बताते हैं कि बदद्न ने बिना किसी आर्थिक मदद के खुद से बकरी पालन किया है। वे कहते हैं, बकरी पालन निश्चित ही एक लाभकारी व्यवसाय है। कोरोना महामारी के कारण अपनी नौकरी गंवा चुके ग्रामीण युवाओं के लिए बकरी पालन रोज़गार का अच्छा साधन बन सकता है। इसके लिए सरकार योजनान्तर्गत आर्थिक मदद भी प्रदान करती है। 

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