- हैप्पीनेस सेंटर स्थापित करने वाला छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय पहला राज्य विश्वविद्यालय बना।
कानपुर नगर। छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेज में स्थापित हैप्पीनेस सेंटर का उद्घाटन जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य और विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर नीलिमा गुप्ता ने किया। इस अवसर पर आचार्य रामचंद्र दास, उत्तराधिकारी युवराज श्री तुलसी पीठ सेवा न्यास चित्रकूट, कुलसचिव डॉ अनिल कुमार यादव, प्रोफेसर संजय सोनकर डीन एकेडमिक्स, डॉ प्रवीण कटियार, विश्व विद्यालय के अधिकारी, कर्मचारी, विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर जगद्गुरु स्वामी रामभद्रचार्य ने पादप रोपण भी किया।इस अवसर पर विश्वविद्यालय के सभागार में सहज प्रसन्नता के उपाय विषय पर एक व्याख्यान भी आयोजित किया गया। इस अवसर पर वक्ता जगतगुरु स्वामी रामभद्राचार्य ने व्याख्यान देते हुए कहा कि 72 वर्ष के अनुभव से उन्होंने जाना है कि प्रसन्नता ही भगवान है उदासी जीव का लक्षण है। स्टोर वस्तुओं को प्राप्त करने की प्रसन्नता क्षणभंगुर है। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 95% बच्चों के चेहरे पर बारह बजा रहता है। पहले लबालब हुआ करता था, अब केवल लव है। उन्होंने बताया कि लव को भी लोग अब नालायक लव कहते हैं। उन्होंने कहा कि जीवन को उन्नत बनाने के लिए लव नाम के रोग से मुक्ति पानी पड़ेगी। उन्होंने बताया कि निष्ठा पूर्वक कार्य करना ईश्वर की सबसे बड़ी पूजा है जब कार्य करते करते हमें पूजा का समय ना मिले तब यह सबसे उत्तम क्षण है। अपने कर्मों में कुशलता ही योग्य है कर्म को कुशलता से करने पर जो प्रसन्नता प्राप्त होती है, उसे कोई मिटा नहीं सकता है। कार्य की सफलता के प्रति में देखकर जो नींद आती है, वह करोड़ों सुकून से बड़ी है। संस्कृत में हैप्पीनेस के लिए दो शब्द है प्रसन्नता और प्रसाद। प्रसन्नता स्वाभाविक ईश्वरी उपहार है। जो व्यक्ति अहम का जितना मात्रा में पोषण करता है उसे उतना ही अवसाद होता है। स्थाई प्रसन्नता के भाव के लिए आध्यात्मिक बनना होगा। सुख और दुख से अलग हटकर जो अनुभूति होती है वही प्रसन्नता है। कार्यक्रम का संचालन यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट आफ हेल्थ साइंसेज के कोऑर्डिनेटर डॉ प्रवीण कटियार ने किया।