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तकनीकों के प्रयोग से अंतिम छोर पर बैठे किसान भी आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन सकेंगे: राज्य मंत्री गिरीश चंद्र मिश्र

सीतापुर। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद-राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन केंद्र, पूसा, नई दिल्ली के सहयोग से अनुसूचित जाति-उप परियोजना अंतर्गत कृषि विज्ञान केंद्र, कटिया में एकीकृत नाशीजीव प्रबंधन (आईपीएम) मेला एवं आदान वितरण कार्यक्रम आयोजित किया गया।कार्यक्रम का उद्घाटन गिरीश चंद्र मिश्र, राज्य मंत्री एवं उपाध्यक्ष राज्य ललित कला अकादमी उत्तर प्रदेश, डॉ शैलेंद्र राजन, निदेशक, केंद्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान, अवध प्रांत सह संयोजक स्वदेशी जागरण मंच मनोज कुमार मिश्रा एवं डॉ अतर सिंह निदेशक, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, अटारी जोन3 कानपुर ने दीप प्रज्वलन कर किया।

गिरीश चंद्र मिश्र ने सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को यांत्रिक उपकरण उपलब्ध कराने के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि, तकनीकों के प्रयोग से अंतिम छोर पर बैठे किसान भी आत्मनिर्भर एवं सशक्त बन सकेंगे। निदेशक, सी.आई. एस.एच. डॉ शैलेंद्र राजन ने किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि, अनुसंधान केंद्रों की मदद लेकर कृषकों को नवीनतम तकनीक अपनाना होगा एवं अन्य युवाओं एवं कृषकों को भी जागरूक करना होगा ताकि अधिक से अधिक किसानों तक तकनीकों का लाभ मिल सके। निदेशक, अटारी, जोन 3,कानपुर डॉ अतर सिंह ने कृषकों को सशक्त बनाने में कृषि विज्ञान केंद्रों की भूमिका की सराहना करते हुए कहा कि प्रत्येक किसान को कृषि विज्ञान केंद्रों द्वारा प्रसारित तकनीकों को जानना एवं समझना होगा ताकि क्षेत्र विशेष एवं आवश्यकता अनुरूप तकनीकों का अनुपालन कर लाभ उठाया जा सके।

स्वदेशी जागरण मंच, अवध प्रांत के सह संयोजक मनोज कुमार मिश्र ने कहा कि पर्यावरण हितैषी तकनीकों के माध्यम से ही किसानों को आत्मनिर्भर बनाकर एवं लागत में कमी कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। उप निदेशक, कृषि, अरविंद मोहन मिश्र ने किसानों को आईपीएम अपनाने पर जोर देते हुए कहा कि समेकित तकनीकों को अपनाकर ही हम कीटों में प्रतिरोधक क्षमता उत्पन्न होने से बचा सकते हैं। पादप रक्षा अधिकारी एस.एन. राम ने यांत्रिक विधियों को सटीक एवं कारगर बताते हुए फसलसुरक्षा एवं किसानों हेतु अत्यंत लाभकारी बताया। केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष डॉ आनंद सिंह ने राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन केंद्र द्वारा देशभर में चलाए जा रहे अभियानों की सराहना करते हुए कहा कि, जनपद में अंतिम छोर पर बैठे कृषकों तक नवोन्मेषी तकनीकों को पहुंचाने हेतु वैज्ञानिक दृढ़ संकल्पित हैं किसानों को भी कृषि विज्ञान केन्द्रों का भ्रमण कर अधिक से अधिक लाभ उठाना होगा। इस प्रकार की परियोजनाओं से किसानों तक अपनी बात पहुंचाने में वैज्ञानिकों को भी काफी बल मिलता है। 

कार्यक्रम के प्रभारी एवं वैज्ञानिक फसल सुरक्षा डॉ डी.एस. श्रीवास्तव ने बताया कि भा.कृ. अनुप- राष्ट्रीय समेकित नाशीजीव प्रबंधन केंद्र की प्रधान वैज्ञानिक एवं नोडल ऑफिसर डॉ श्रीमती अजंता बिरह के दिशानिर्देशन में यह परियोजना अनुसूचित जाति के लाभार्थियों हेतु चलाई जा रही है। जिसके अंतर्गत केंद्र के प्रयासों से अब तक 9 विकास खंडों के 42 ग्राम के 800 से अधिक किसानों तक लाभ पहुंचाया जा चुका है जिसमें फलों एवं सब्जियों को कीड़ों से बचाने हेतु फेरोमोन ट्रैप, लाइट एवं फ्रूट फ्लाई ट्रैप, अनाज को सुरक्षित रखने के लिए सुरक्षित भंडारण बैग, दवा छिड़कते समय सुरक्षित उपकरण, अनाज नमी मापक यंत्र, वर्मी बेड, बखारी, सांप से बचने हेतु यंत्र, जैविक कीटनाशक इत्यादि उपकरण 72  लाभार्थियों को आज वितरित कराए गए हैं। ‌

इस अवसर पर प्रगतिशील किसान श्वेतांक, विनोद, रामसागर, अनंत बहादुर, सुधा पांडे, ने प्राकृतिक हितैषी तकनीकों को किसानों हेतु सार्थक बताते हुए वैज्ञानिकों के प्रयासों की सराहना की। कार्यक्रम में केंद्र के वैज्ञानिक डॉ आनंद सिंह, सचिन प्रताप तोमर, एस के सिंह, डॉ शिशिर कांत सिंह, डॉ योगेंद्र प्रताप सिंह, शिवराज, संदीप, आकाश देव, विकास, सुनीता, विशाल, सुधीर समेत 150 से अधिक किसानों ने प्रतिभागिता की। कार्यक्रम का संचालन डॉ श्रीमती सौरभ ने किया एवं धन्यवाद ज्ञापन पवन सिंह ने किया।

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