कानपुर। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषि वानिकी अनुसंधान संस्थान झांसी के माध्यम से वेबिनार का किया गया। जिसमें भाकृअनुप-अटारी कानपुर निदेशक डॉ. अतहर सिंह सम्मिलित हुए।
प्रसिद्ध पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि सुन्दर लाल बहुगुणा ने देश में पर्यावरण बचाने का महत्वपूर्ण कार्य किया था। हमने भी चीन एवं अन्य बड़े देशों की तरह उद्योगों के पीछे भागने को ही विकास मान लिया। जीडीपी और विकास इकोनोमी से जुड़े मुद्दे हैं। प्रकृति के संदेशों को महसूस करना होगा। प्रकृति के असंतुलन से आये दिन विभिन्न चक्रवात आदि आ रहे हैं। नई-नई बीमारियां बर्ड फ्लू, स्वाइन फ्लू और अब कोरोना वाइरस आया है। 1940-60 के युग में औद्योगिक क्रान्ति आई। प्रकृति संरक्षण की परिकल्पना होनी चाहिए। जलधारण क्षमता 30 प्रतिशत तक चली गई है। ग्लेशियर्स पिघल कर समुद्र में मिल रहे हैं, समुद्र का जलस्तर बढ़ रहा है। हम अपने-अपने गाँवों में देखें, पर्यावरण असंतुलन का दुष्प्रभाव हर जगह देखने को मिल जायेगा। 1955 का वन संरक्षण नियम होने के बावजूद वन सुरक्षित नहीं हैं। कोविड-19 ने अर्थव्यवस्था को पाताल में पहुँचा दिया। कोविड को प्रकृति से अलग नहीं कर सकते। अमेरिका एवं अन्य विकसित देशों का हथियारों का भण्डार कोविड से लड़ने में काम नहीं आया। आक्सीजन सिलेण्डर मुश्किलों से मिल रहे हैं। पानी का व्यापार हो गया, प्रदूषण से हवा खराब हो गई, मृदा खराब हो गई, पानी भी दूषित हो गया, इन सब कारणों से विभिन्न नई-नई बीमारियाँ जन्म ले रही हैं। विभिन्न बीमारियों से बचने के लिये प्रकृतिक जड़ी बूटिया जैसे अहरक, हल्दी आदि ही हमारे काम आ रही हैं। हर व्यक्ति पर्यावरण संरक्षण के लिये योगदान कर सकता है।
वेबिनार में डॉ. ए.अरुणाचलम, निदेशक भाकृअनुप-केन्द्रीय कृषिवानिकी अनुसंधान संस्थान झांसी, प्रो. आर.पी. सिंह, प्रो. कुसुम अरुणाचलम, डॉ. अतर सिंह, निदेशक भाकृअनुप-अटारी कानपुर एवं विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिकों ने प्रतिभाग किया।