के.एम. भाई मैंने मरते देखा है गांधी को ! हर एक चौराहे पे कभी खाकी वर्दी की आड़ में तो कभी तड़पती जान में गांधी को मरते हुए .. कभी अस्पताल की दर पे तो कभी न्याय की चौखट पे गांधी को मरते हुए .. …
Read More »Let’s do something …
K. M. Bhai Let’s do something ! Spread a word of kindness Share a piece of goodness Make a new friend Love your animals & birds.. Pray for someone Spend time with old one Do a little kind act Sit in silence for a minute.. something for strangers something for …
Read More »नन्ही बूँद
दिव्या दीक्षित ऐ नन्ही बूँद, ऐ नन्ही बूँद। क्यों आयी इस धरती पर, आँखे मूंद। क्या नहीं पता, तुझे ओ नादान तू आ गई है, अपने माँ-बाप से दूर। ऐ नन्ही बूँद, ऐ नन्ही बूँद। शायद तेरी भी कुछ मजबूरियां रही होंगी, मरने से पहले तुझे भी जिम्मेदारियाँ पूरी करनी …
Read More »इन्कलाब का नारा…
के. एम. भाई दिलों में जुनून है और जुबां पे इन्कलाबसलामी के लिए उमड़ा हैबादलों का ये सैलाब …याद करके बलिदान तुम्हाराजश्न में डूबा है वतन सारा हर जुबां पे होगाइन्कलाब का नारा…जोश में भीगा है रक्त हमाराआज इंकलाबियों से सजेगा घर हमारा..दिलों में जूनून होगाऔर जुबाँ पे इंकलाब का नारा …इन्कलाब …
Read More »कहीं आज जीत न जाए
के0 एम0 भाई जो अक्सर अँधेरे के साये में रहती हैं!!मैंने देखा है उन आँखों कोजो कभी आंसुओं से भीग जाती हैंतो कभी एक पहर को ठहर सी जाती हैजो सदियों से एक पलक भी नहीं झपकीजो कभी एकांत में सिसकती हैंऔर कभी शोर में भी शांत हो जाती हैंजो …
Read More »नारियां
दिनेश ‘दीप’ भावना से ओत प्रोत भाव रखें नारियां घर या उद्योग हो प्रभाव रखें नारियां बेदना के दिनों में भी फूल झरे नारियां मुस्कराती पांखुरी सी कंटको के बीच भी ममता भरी छांव दे के प्यार से हैं सींचती खून मे भी खुशबुओं का ताव रखें नारियां टूटता बिखरता जो इनसे संवरता वो देता …
Read More »वो गुब्बारा !!
के0 एम0 भाई वो गुब्बारा !!फूलता भी था औरहवा में उड़ता भी थाहर किसी के दिल मेंबसता भी थाकभी इधर तो कभी उधरकभी थोड़ा ऊपर तोकभी थोड़ा नीचेहर तरफ दौड़ता भी थापर एक शाम ऐसी आयीकि हर तरफखामोशी ही खामोशी छायी कुछ ऐसी रफ्तार आईकि जिंदगी मौत में समायी न गुब्बारा बचा …
Read More »दरवाजे की नीम नहीं अब, नहीं रही वो छाँव रे…!
दिनेश ‘दीप’ खट्टी मीठी यादें लेकर जब हम लौटे गांव रे दरवाजे की नीम नहीं अब नहीं रही वो छांव रे अम्मा का वो हमें जगाना और जिज्जी का कुआं को जाना जगते जगते फिर सो जाना तब नन्ना का वो चिल्लाना याद हमें चिड़ियों की चंह चंह कौवे की …
Read More »सम्मिलित तुझमे हो गई !
ज्योति सिंह अर्धांगनी बन तुम्हारी, मैं संगिनी हो गई साथ होकर मैं तुम्हारे, सम्मिलित तुझमे हो गई। बना सागर तुझे, मैं खुद नदिया बन गई छोड़ पर्वत जंगल, तुझसे आकर मिल गई भुला अपने गुण-अवगुण, तुम जैसी मैं हो गई साथ होकर मैं तुम्हारे, सम्मिलित तुझमे हो गई। लुटा प्रेम …
Read More »बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
के0 एम0 भाई बावरा मन कहता है,बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।न कोई हिसाब हो न हो कोई व्यापार, ज़िन्दगी के सफर में… यूँ ही सपने सजाता रहूँ,बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।न पथ की चिंता हो, न हो पथिक का इंतज़ार इंसानियत की राह पे…… …
Read More »