आज शुक्रवार को अषाढ़ी या हलहारिणी अमावस्या है। आषाढ़ मास की अमावस्या का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा के साथ ही कृषि यंत्रों की भी पूजा की जाती है। भारतीय मौसम के अनुसार, आषाढ़ मास के अंत में वर्षा ऋतु की शुरुआत हो जाती है, इसलिये किसान इस अमावस्या को हलहारिणी अमावस्या के रूप में मनाते हैं। आषाढ़ मास की अमावस्या पर भगवान विष्णु की पूजा और पितरों के तर्पण का विधान है।
आषाढ़ अमावस्या, तिथि एवं मुहूर्त
हिंदी पंचांग के अनुसार, आषाढ़ मास की अमावस्या कृष्ण पक्ष के अंतिम दिन 09 जुलाई, दिन शुक्रवार को पड़ रही है। अमावस्या तिथि का प्रारंभ 09 जुलाई को सुबह 05 बजकर 16 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि की समाप्ति 10 जुलाई को सुबह 06 बजकर 46 मिनट पर होगी। अषाढ़ी अमावस्या का व्रत 09 जुलाई को रखा जाएगा तथा व्रत का पारण नियमानुसार 10 जुलाई को होगा।
आषाढ़ अमावस्या की पूजा विधि
अमावस्या की तिथि पर विशेष रूप से भगवान विष्णु की पूजा और व्रत रखा जाता है। सनातन परंपरा में अमावस्या तिथि पर पितरों की आत्मा की शांति के लिए तर्पण करने का विधान है। आषाढ़ मास में चातुर्मास या चौमासा की शुरुआत होती है, इसलिए आषाढ़ की अमावस्या पर तर्पण और व्रत का विशेष महत्व है। इस दिन पवित्र नदियों में स्नान करना पुण्य फलदायी होता है। नदी में स्नान के बाद सूर्य को अर्घ्य देकर पितरों को तर्पण अर्पित किया जाता है। इसके बाद नियमानुसार, दिन भर फलाहार करते हुए व्रत रखें तथा भगवान विष्णु का पूजन करें। व्रत का पारण अगले दिन गरीबों में दान करके करना चाहिए। इस दिन किए गए तर्पण और व्रत विशेष फलदायी माना जाता है।