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सी.एस.ए. विश्वविद्यालय मधुमक्खियों के अनुकूल पौधों का रोपण एवं संवर्धन परियोजना का हुआ शुभारंभ

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय में शुक्रवार को मधुमक्खियों के अनुकूल पौधों का रोपण एवं संवर्धन परियोजना के शुभारंभ अवसर पर एक दिवसीय वर्चुअल सेमिनार का आयोजन किया गया। इस वर्चुअल सेमिनार की अध्यक्षता विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ डी.आर. सिंह ने की, जबकि भारत सरकार के कृषि एवं उद्यान आयुक्त डॉ. एस.के. मल्होत्रा बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। 

इस अवसर पर मुख्य अतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि मधुमक्खी पालन एक ऐसा व्यवसाय है, जिससे किसानों की आमदनी में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने अपने संबोधन में बताया कि देश में लगभग 1.25 लाख मीट्रिक टन शहद का उत्पादन किया जा रहा है। जबकि 67 हजार 500 मीट्रिक टन शहद का निर्यात किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय मधुमक्खी बोर्ड भारत सरकार द्वारा देश के 17 केंद्रों पर मधुमक्खी पालन परियोजना संचालित है। जबकि मधुमक्खी की गुणवत्ता परखने हेतु 100 मिनी  परीक्षण प्रयोगशाला भी सुचारू रूप से चल रही हैं। डॉक्टर मल्होत्रा ने छात्र-छात्राओं को सुझाव दिए कि मधुमक्खी पालन पर शोध करें। जिससे शहद का उत्पादन एवं उत्पादकता में बढ़ोतरी हो। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह ने कहा कि मध्य उत्तर प्रदेश में सरसों की खेती बड़े स्तर पर होती है। मधुमक्खी पालन व सरसों का समावेश होगा तो अवश्य ही सरसों के उत्पादन और शहद  के उत्पादन में बढ़ोतरी होगी। उन्होंने कहा कि शोध द्वारा पाया गया है कि मधुमक्खी के परागण क्रिया द्वारा सरसों में कि 43 प्रतिशत उत्पादन अधिक हुआ है। डॉ. सिंह ने कहा कि छात्र मधुमक्खी पालन पर शोध करेंगे तो अवश्य अपना उद्यम स्थापित कर सकेंगे। साथ ही परियोजना के माध्यम से मधुमक्खी पालकों को जागरूक किया जाएगा। इसके अतिरिक्त छात्रों से कहा, जैविक कीट नियंत्रण के लिए मित्र कीटों पर भी शोध करने की आवश्यकता है। तत्पश्चात कार्यक्रम के अंत में मधुमक्खियों को आकर्षित करने वाले पौधे जैसे जामुन, यूकेलिप्टस का माननीय कुलपति महोदय द्वारा वृक्षारोपण भी किया गया। कार्यक्रम में सभी अतिथियों का स्वागत कीट विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. वाई. पी. मलिक ने किया जबकि कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद डॉ. राम सिंह उमराव ने दिया। इस अवसर पर अधिष्ठाता कृषि संकाय डॉक्टर धर्मराज सिंह, निदेशक शोध डॉक्टर एच. जी. प्रकाश सहित अन्य संकाय सदस्य एवं छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।

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