Breaking News

उर्द की वैज्ञानिक खेती कर कमाएं लाभ : डॉक्टर अखिलेश मिश्रा

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में दलहन अनुभाग के वैज्ञानिक डॉक्टर अखिलेश मिश्रा ने वर्षा ऋतु में उर्द की वैज्ञानिक खेती के विषय पर एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने बताया कि उर्द बहुत कम समय में पक कर तैयार होने वाली फसल है तथा अधिक तापमान सहन करने की भी क्षमता है। 

डॉ. मिश्रा ने बताया कि उड़द का प्रयोग दाल के अतिरिक्त अन्य पौष्टिक आहार के रूप में किया जाता है। यह वायुमंडल की नाइट्रोजन का स्थिरीकरण करके उसकी उर्वरा शक्ति को भी बढ़ाती है तथा इसका प्रयोग हरी खाद के रूप में भी किया जाता है। उड़द की बुवाई के का समय जुलाई के अंतिम सप्ताह से अगस्त के अंतिम सप्ताह तक सर्वोत्तम रहता है। उन्होंने कहा कि उर्द की प्रमुख प्रजातियां जैसे आजाद-1, आजाद-2, आजाद -3,शेखर -3, पंथ उर्द 19 प्रमुख है। उन्होंने बताया कि बीज की बुवाई हेतु 12 से 16 किलोग्राम बीज प्रति हेक्टेयर आवश्यक है। लाइन से लाइन की दूरी 40 से 45 सेंटीमीटर एवं पौधे से पौधे की दूरी 10 से 12 सेंटीमीटर रखी जानी चाहिए। 

उन्होंने उर्वरक के बारे में कहा कि 20 किलोग्राम नत्रजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस, 40  किलोग्राम पोटाश, 20 किलोग्राम सल्फर एवं 20 किलोग्राम ज़िंक प्रति हेक्टेयर आवश्यकता होती है। बुवाई के पूर्व बीज का शोधन किसी भी फफूंदी नाशक दवा से कर लें एवं राइजोबियम कल्चर से उपचारित के पश्चात बुवाई करनी चाहिए। उन्होंने बताया कि यदि किसान वैज्ञानिक विधि से खेती करते हैं तो 12 से 15 कुंतल प्रति हेक्टेयर उर्द की पैदावार होगी और किसान लाभान्वित होंगे।

About rionews24

Check Also

आईआईटी कानपुर ने 5जी एंटीना प्रौद्योगिकी पर संगोष्ठी का किया आयोजन

कानपुर नगर। दूरसंचार में नवाचार में अग्रणी भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, कानपुर (आईआईटी कानपुर) ने ‘5जी …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *