कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह द्वारा वैज्ञानिकों को जारी निर्देश के क्रम में सोमवार को विश्वविद्यालय के पशुपालन एवं दुग्ध विज्ञान विभाग के विभागाध्यक्ष एवं प्रोफेसर डॉ. पी.के. उपाध्याय ने गर्मी में करें पशुओं की विशेष देखभाल विषय पर जानकारी दी है। डॉ उपाध्याय ने बताया कि इस समय मौसम में अचानक बदलाव हो रहा है। मौसम में अचानक परिवर्तन होने से पशु अपने आप को बदलते मौसम के अनुरूप ढाल नहीं पाता, जिसके कारण उनका दूध उत्पादन कम हो जाता है, साथ ही पशु के प्रजनन एवं स्वास्थ्य पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उन्होंने पशुपालक भाइयों को बताया की भैंसों में प्रजनन का कार्य सुचारू रूप से करना है, तो भैंसों को चराई करने पर उनके नहाने के लिए तालाब में नहलाएं। संकर नस्ल के पशुओं पर पानी का फुहारा अथवा पंखा चलाना लाभदायक रहेगा, क्योंकि गर्मी बढ़ने के साथ ही उनमें दूध उत्पादन कम होने की समस्या देखने को मिलती है। इसके साथ उन्होंने कहा कि पशुओं को किसी बाड़े में रखते हैं तो उन पर जूट के पुराने बोरों के परदे अवश्य लगाएं एवं उन पर पानी का छिड़काव करते रहे, जिससे उस बाड़े का तापमान कम बना रहे और ठंडक बनी रहे। इन गर्मी के दिनों में हरे चारे की कमी नहीं होनी चाहिए। इसके लिए आवश्यक है कि पशुपालक भाई अपने खेतों पर चारे की हरी फसलों के लिए एमपी चरी, मक्का एवं बाजरा आदि दलहनी चारे के साथ ही साथ लोबिया जैसे दलहनी चारा का भी उत्पादन करें। दुधारू पशुओं को यह दलहनी और अदलहनी चारा मिला करके देते हैं, तो उन में दूध की मात्रा बढ़ती है। यदि हरे चारे की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध नहीं हो पा रही है, तो किसान भाई ऐसे समय में भूसे में शीरा अथवा गुड़ का घोल छिड़ककर पशुओं को दें, जिससे दुग्ध उत्पादन मे कमी देखने को नही मिलती है। दुधारू पशुओं को दाना देने के लिए भैंसों को शरीर रक्षा अर्थात जीवन निर्वाह के लिए 1.5 किलोग्राम दाना एवं दुग्ध उत्पादन के लिए प्रति लीटर दुग्ध पर 500 ग्राम दाना देना चाहिए। इसके अतिरिक्त दुधारू पशुओं को दाने के साथ 50 से 60 ग्राम खनिज लवण एवं 40 ग्राम नमक प्रतिदिन अवश्य दें।
डॉ. पी.के. उपाध्याय ने बताया कि अपने दुधारू पशुओं को अंतः परजीवी एवं बाह्य परजीवियों से बचाने के लिए समय-समय पर अंतः कृमिनाशक दवा पशु चिकित्सक की सलाह से अवश्य दें। पशुओं को बाह्य परजीवियों से बचाने के लिए ब्यूटाक्स 0.2% अथवा मेलाथियान 0.1% का घोल बनाकर, इससे पशुओं के शरीर को कपड़े अथवा टाट से अच्छी तरह से उसके शरीर को भिगोकर आधे घंटे के लिए धूप में खड़ा कर दें, जिससे उसके शरीर पर लगे समस्त बाह्य परजीवी मर करके झड़ जाते हैं। पशुशाला की सफाई का विशेष ध्यान रखें। पशुशाला में दुहाई से एक घंटे पूर्व फिनायल आदि का प्रयोग अवश्य करें दूध निकालते समय हाथों को अच्छी तरह से साबुन से धो लें एवं नाखून कटे होने चाहिए।दुहाई से पूर्व थनों को लाल दवा और नीम के घोल से धुल कर किसी साफ तौलिए से पोंछ कर सूखे हाथों से दुहाई करनी चाहिए। किसान पशुओं को कोई भी दवा आप अपनी तरफ से न दे कर के अपने नजदीक के पशु चिकित्सालय से संपर्क करने के उपरांत ही कोई दवा पशुओं को दें।