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नहीं रहीं, पानी बेमोल नहीं, अनमोल है… को जीवन का ध्येय बनाने वाली प्रभा चतुर्वेदी

लखनऊ। जीवन भर जल संरक्षण की मुहिम को आगे बढ़ाने वाली और पानी बेमोल नहीं, अनमोल है… इस एक वाक्य को अपने जीवन का ध्येय बनाने वाली निशातगंज के पेपरमिल काॅलोनी निवासी 82 वर्षीय प्रभा चतुर्वेदी का निधन हो गया। फेफड़ों में संक्रमण के कारण उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उन्हें लिविंग लीजेंड अवार्ड, स्त्री शक्ति अवार्ड, लखनऊ मैनेजमेंट एसोसिएशन की ओर से आउटस्टैंडिंग वूमेन अचीवर्स अवार्ड समेत तमाम अवार्ड मिले थे।

दो दशक पहले प्रभा चतुर्वेदी ने भूजल को बचाने का बीड़ा उठाया था। वह बढ़ते भूजल संकट की अनदेखी से इस कदर आहत हुईं कि उन्होंने 2004 में इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में जनहित याचिका दायर कर दी। हाईकोर्ट ने सरकार को गिरते भूजल की समस्या के निदान के लिए तत्काल कदम उठाने के आदेश दिए। यहीं से प्रदेश में भूजल के महत्व को समझने के साथ उसके संरक्षण व प्रबंधन की नींव रखी गई।

सरकार ने भी भूजल के महत्व को समझा और प्रदेश में 2005 से भूजल दिवस मनाने की पहल शुरू हुई, वहीं पहली बार शहरों में भूजल स्तर मॉनिटरिंग की शुरुआत हुई। केवल यही नहीं, प्रभा चतुर्वेदी ने निजी स्तर पर भी पानी की एक-एक बूंद को बचाने का संकल्प लिया। इसकी शुरुआत उन्होंने अपने घर से ही की। डेढ़ दशक पूर्व ही उन्होंने अपने किचन के पानी को व्यर्थ नाली में बहने से रोकने के लिए फर्श को ही तोड़वा दिया। किचन के पानी को गार्डन में एक फिल्टर पिट बनाकर सहेजना शुरू किया और इस पानी का इस्तेमाल बगीचे को हरा-भरा रखने में करने लगीं। प्रदूषण से मुक्ति का नारा भी प्रभा चतुर्वेदी ने ही दिया। उन्होंने 25 साल पहले महिला मंडल बनाकर, उससे 600 महिलाओं को जोड़ा । इस महिला मंडल के जरिए पेपरमिल काॅलोनी में पार्क बनाया और पर्यावरण संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किए।

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