कानपुर। आज शहीद-ए-आजम भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के प्रिय मित्र क्रांतिकारी डॉo गया प्रसाद कटियार की जयंती है। डॉo गया प्रसाद कटियार देश के आधा दर्जन से ज्यादा शहरों में दवाखाना चलाते थे। बाहर दवाखाना और अंदर बम बनाने की फैक्ट्री चलती थी।
भगत सिंह और बटुकेश्वर दत्त ने संसद भवन के बाहर अंग्रेज सरकार के कान खोलने के लिए जो बम फेंके थे, वे डॉo कटियार की देखरेख में ही तैयार किए गए थे। फिरोजपुर में वह डॉo बीएस निगम के नाम से दवाखाना चलाते थे। लाला लाजपत राय की हत्या के जिम्मेदार अंग्रेज पुलिस अधिकारी सांडर्स की हत्याकांड के बाद अंग्रेजों ने क्रांतिकारियों की जब धर पकड़ शुरू की तो डॉo कटियार भी सहारनपुर में बम फैक्ट्री का संचालन करते हुए शिव वर्मा व जयदेव कपूर के साथ 15 मई 1929 को दर्जनों बमों और पिस्तौलों के साथ गिरफ्तार कर लिए गए। उन्हें कालापानी की सजा मिली।
अलग-अलग जेलों में बिताये थे 17 साल
15 मई 1929 की गिरफ्तारी से लेकर 21 फरवरी 1946, रिहाई के समय तक लगभग 17 सालों के लंबे जेल जीवन में डॉ. साहब से घबराई अंग्रेज सरकार ने उन्हें हिन्दुस्तान के विभिन्न जेलों लाहौर, रावलपिण्डी, लखनऊ, कानपुर इत्यादि जेलों में रखा। अंडमान निकोबार द्वीप की सेल्यूलर जेल में सात वर्षों से अधिक समय रहें। इस दौरान लाहौर की जेल में उन्होंने 65 दिन अनशन भी किया।
जीवन परिचय
20 जून 1900 को कानपुर जिले की बिल्हौर तहसील से जुड़े गांव खजुरी खुर्द में पिता मौजीराम व माता नन्दरानी के घर इस महान क्रांतिकारी का जन्म हुआ। इनके दादा महादीन ने 1857 की क्रांति में बढ़चढ़ कर हिस्सा लिया था। गया प्रसाद ने हाई स्कूल पास करने के बाद डॉक्टरी का कोर्स किया और आर्य समाज व कानपुर की मजदूर सभा में कार्य करना शुरू किया। यहीं पर उनका परिचय महान क्रांतिकारी व पत्रकार गणेश शंकर विद्यार्थी, हरिहर नाथ शास्त्री इत्यादि से हुआ।
आज़ादी का यह दीवाना, चंद्रशेखर आजाद और भगत सिंह के सपनों के भारत का निर्माण करने का ख्वाब लिए 10 फरवरी 1993 को सदा-सदा के लिए दुनिया से विदा हो गया। भारत सरकार ने उन पर डाक टिकट भी जारी किया है।