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एम.एस स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन चेन्नई के निदेशक ने जैव संवर्धित गांव अनूपपुर में स्मार्ट न्यूट्री किचन गार्डन का किया अवलोकन

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय  के अधीन संचालित कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर में गुरुवार को एम.एस. स्वामीनाथन रिसर्च फाउंडेशन द्वारा 100 प्रतिशत वित्तपोषित जैवसंवर्धित पोषकतत्व युक्त सब्जियों की वाटिका योजना के मूल्यांकन हेतु फाउंडेशन के निदेशक डॉ. जी.एन. हरिहरन व उनके सहकर्मी दया द्वारा अवलोकन किया गया। डॉ. हरिहरन ने केंद्र की वाटिका का निरीक्षण करते समय वाटिका की अति सुनियोजित तरह से लगवाने व मेन्टेन करने के लिए केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार की प्रशंसा करते हुए परियोजना की वाटिका देख कर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा, गर्व की बात कि उक्त परियोजना पूरे भारत में सिर्फ चयनित चार जिलों में जिनमें कृषि विज्ञान केंद्र दलीप नगर कानपुर भी शामिल है, में चल रहा है। अवलोकन उपरांत डॉ. हरिहरन द्वारा रावे कार्यक्रम के लिए केंद्र में सम्बद्ध छात्रों को उनका प्रशिक्षण पूर्ण होने के उपलक्ष्य में उनको प्रमाण पत्र भी वितरित करवाये गए।

इसके उपरांत उक्त परियोजना के सहयोग से विकसित भारत के प्रथम जैव संवर्धित गांव अनूपपुर का भ्रमण व गांव की महिलाओं के साथ संवाद कार्यक्रम का आयोजन भी किया गया। भ्रमण के दौरान डॉ. हरिहरन ने उक्त गांव के समस्त घरों में पोषण वाटिका देख कर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार व उनकी टीम की प्रशंसा की। महिलाओं से संवाद करते हुए डॉ. हरिहरन ने कहा कि देश में 15 से 51 साल तक कि आधी से अधिक आबादी कुपोषण का शिकार है और गर्भावस्था में एनीमिया की शिकार हो जाती हैं। जबकि महिलाएं ही अन्नपूर्णा हैं और परिवार के सभी सदस्यों की जरूरत का ध्यान रखती हैं। अतः महिलाओं को अपना ध्यान रखते हुए उचित पोषण युक्त भोजन लेना चाहिए। हमारे देश में हिडेन हंगर अर्थात सूक्ष्म पोषक तत्वों की कमी वाला कुपोषण है जिसके उन्मूलन में पोषण वाटिका का बहुत योगदान है। महिलाओं को अपने हाथों से केंद्र की कार्यक्रम सहायक (गृहविज्ञान) के अग्रिम पंक्ति प्रदर्शन की पोषक वाटिका बीज किट वितरित करते डॉ. हरिहरन जी ने महिलाओं को अधिक से अधिक सब्जियां व फल घर में रोपने का आवाहन किया। कार्यक्रम में केंद्र के अध्यक्ष ने मोटे अनाजों की उपयोगिता बताते हुए कहा कि कुपोषण को दूर करने में इनका महत्वपूर्ण योगदान है। अतः सर्दियों में बाजरा का भरपूर उपयोग करने की सलाह दी। कार्यक्रम में रामा विश्वविद्यालय की अधिष्ठाता डॉ. अनिता यादव, केंद्र की गृहवैज्ञानिक डॉ. मिथिलेश वर्मा, प्रसार वैज्ञानिक डॉ. राजेश राय, मृदा वैज्ञानिक डॉ. अरविंद कुमार, उद्यान वैज्ञानिक अरुण सिंह, कार्यक्रम सहायक गृह विज्ञान डॉ. निमिषा अवस्थी व रामा विश्वविद्यालय के रावे प्रभारी डॉ. कार्तिकेय के साथ केंद्र के कंप्यूटर प्रोग्रामर राजेश द्विवेदी, अनूपपुर के प्रधान व 70 महिलाओं ने प्रतिभाग किया।

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