कानपुर देहात। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के अधीन संचालित दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा रविवार को किसानों को तिल एवं अरहर फसल के उन्नत बीजों का वितरण किया गया। जिसका उद्देश्य कृषकों के प्रक्षेत्रों पर नवीन उन्नत बीजों का प्रदर्शन करना है। जिससे किसानों की सकल आय में बढ़ोतरी हो।
इस अवसर पर केंद्र के अध्यक्ष डॉ. अशोक कुमार ने किसानों को संबोधित करते हुए बताया कि अरहर की बुवाई के समय राइजोबियम कल्चर से बीजों को अवश्य उपचारित करें। जिससे कि वायुमंडलीय नाइट्रोजन मृदा में संकलित होती है और मृदा उर्वरता बढ़ती है। उन्होंने बताया की अरहर का बीज 10 से 12 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर आवश्यकता पड़ती है तथा बुवाई के समय 2 ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलोग्राम बीज की दर से शोधित कर लें। जिससे कि रोग लगने की संभावना कम रहती है।
डॉक्टर विनोद प्रकाश ने बताया कि अरहर की फसल में 15 से 20 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 से 45 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश तथा 25 किलोग्राम सल्फर प्रति हेक्टेयर आवश्यक होता है।
इस अवसर पर किसानों को नरेंद्र अरहर-2 नामक प्रजाति वितरित की गई। जबकि तिल की जीजेटी-5 प्रजाति किसानों को वितरित की गई जो कि 10 से 12 कुंतल उपज प्रदान करती है। इस अवसर पर केंद्र के वैज्ञानिक डॉक्टर ए. के. सिंह, डॉक्टर अरुण कुमार सिंह, डॉक्टर खलील खान, डॉक्टर शशिकांत, डॉक्टर निमिषा अवस्थी सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।