Breaking News

पड़ोसी से बनती नहीं बातें वसुधैव कुटुंबकम् की…

हमारे पास भौंकाल इतने बड़े-बडे़ हैं कि दुनियां का कोई भी देश हमारे देश के भौंकालों की बराबरी नहीं कर सकता। फुलटास लंतरानी, दिखावा और खालिस नौटंकी में हम विश्वगुरु हैं।‌ आडंबरों में तो हम तीनों लोकों के बाप हैं…भगवान तक को बेंच डालने की अद्भुत कला है हमारे पास।‌ ऐसी अद्भुत शक्ति से हम सब लैस हैं कि पत्थर में भी प्राण प्रतिष्ठा कर देते हैं….
एक मिसाइल नुमा खूबसूरत वाक्य है “सर्व धर्म समभाव”..लेकिन इसकी सच्चाई सबको पता है। धर्म के नाम पर इतनी नफ़रत और कट्टरता फैला दी गई है कि जो सत्ता प्रसारित विचारधारा से इत्तिफाक नहीं रखता वो या खालिस्तानी घोषित कर दिया जाता है या पाकिस्तानी या देशद्रोही। अंतरराष्ट्रीय-राष्ट्रीय मंचों पर हम “वसुधैव कुटुंबकम्” की बातें करते नहीं अघाते लेकिन हालात यह हैं कि पड़ोसी तक से नहीं बनती।‌ यस्मिन् देशे न सन्मानो न प्रीति र्न च बान्धवाः । न च विद्यागमः कश्चित् न तत्र दिवसं वसेत् ॥
अर्थात् जिस देश में सम्मान नहीं, आपस में प्रीति नहीं, संबंधी नहीं और जहाँ विद्या मिलना संभव न हो, वहाँ एक दिन भी नहीं ठहरना चाहिए । आज बड़ी संख्या में नफरतियों की पूरी की पूरी एक फौज खड़ी कर दी गई है। इस फौज पर एक श्लोक है-
मर्कटस्य सुरापानं तत्र वृश्चिकदंशनम् ।
तन्मध्ये भूतसंचारो यद्वा तद्वा भविष्यति ॥
बंदर ने शराब पी ली फिर उसे बिच्छु ने काटा लिया और तीसरे हुआ ये कि उस पर ऐसे वक्त में ही भूत भी सवार हो गया। अब क्या होगा केवल सर्वनाश…। आप सहज कल्पना करिए कि पूरे देश में लाखों लोग मर‌ रहे हैं। शमशान दिन रात दहक रहे हैं जबकि भारतीय परंपरा में रात में शवदाह नहीं किया जाता है… लेकिन पश्चिमी बंगाल में मात्र 10 लोगों की हत्या पर जो सुनियोजित हल्ला खड़ा किया गया है….यह वही नफरती ताकतें हैं जिन्होंने एक मुल्क के भीतर इतने दुराव पैदा कर दिए हैं।नीरक्षीरविवेके हंस आलस्यं त्वं एव तनुषे चेत। विश्वस्मिन अधुना अन्य:कुलव्रतम पालयिष्यति क:।
अर्थात:- ऐ हंस, यदि तुम दूध और पानी को भिन्न करना छोड़ दोगे तो तुम्हारे कुलव्रत का पालन इस विश्व में कौन करेगा। भाव में है कि यदि बुद्धिमान व्यक्ति ही इस संसार में अपना कर्त्तव्य त्याग देंगे तो निष्पक्ष व्यवहार कौन करेगा?….
फिलहाल एक मुल्क के तौर पर इस देश में जो बोया जा चुका है वह विनाश का जनक है और इसकी शुरुआत हो चुकी है।

About rionews24

Check Also

क्या आम जनता द्वारा भी पत्रकारों के पीटे जाने का वक्त नजदीक आ रहा है?

पवन सिंहदेश की मीडिया ने अपनी दुर्गति खुद की है। कहते हैं हर आदमी की …

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *