शक्ति की आराधना का पर्व शारदीय नवरात्रि पूरे देश में मनाया जा रहा है। नवरात्रि में महाअष्टमी और महानवमी का विशेष महत्व है। इस दो दिनों में विशेष पूजा की जाती है। दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के महागौरी स्वरूप की आराधना की जाती है। इन दो दिनों मे कन्याओं की पूजा होती है और उन्हें भोजन करवाया जाता है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान शिव को पाने के लिए कई वर्षों तक मां पार्वती ने कठोर तप किया था, जिससे उनके शरीर का रंग काला हो गया था। जब भगवान शिव उनकी तपस्या से प्रसन्न हुए तो उन्होंने उनको गौर वर्ण का वरदान भी दिया। इससे मां पार्वती महागौरी भी कहलाईं। महाष्टमी या दुर्गा अष्टमी को व्रत करने और मां महागौरी की आराधना करने से व्यक्ति को सुख, सौभाग्य और समृद्धि भी मिलती है।
विशेषज्ञों के अनुसार, अष्टमी तिथि 12 अक्टूबर रात 9 बजकर 47 मिनट से 13 अक्टूबर रात्रि 8 बजकर 6 मिनट तक रहेगी। अष्टमी का पूजन 13 अक्टूबर, बुधवार को किया जाएगा।
पूजा के मुहूर्त : अमृत काल- 03:23 AM से 04:56 AM
ब्रह्म मुहूर्त– 04:48 AM से 05:36 AM तक है।
वहीं नवमी तिथि 13 अक्टूबर रात 8 बजकर 7 मिनट से लेकर 14 अक्टूबर शाम 6 बजकर 52 मिनट तक रहेगी। इसी दौरान कन्या पूजन किया जाना चाहिए और कन्या भोज कराया जाना चाहिए।