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रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) बढ़ाने के लिए प्रयोग करें गिलोय (गुर्च) : डॉ अरुण कुमार सिंह

कानपुर। चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. डी.आर. सिंह द्वारा जारी निर्देश के क्रम में आज दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के उद्यान वैज्ञानिक डॉ.अरुण कुमार सिंह ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए गिलोय (गुर्च) के प्रयोग एवं उसके महत्व पर जानकारी साझा की है। डॉक्टर सिंह ने बताया कि इस समय पूरे देश में कोविड 19 के  संक्रमण का द्वितीय वेब लगभग अपने पीक पर है। अत: इस समय कोरोना से बचाव के लिये हमारे शरीर की प्रतिरोधक क्षमता अच्छी होनी चाहिए। इसके लिये गिलोय का सेवन बहुत ही फायदेमंद है। उन्होंने बताया कि गिलोय को गुर्च, गुडूची,अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है। गिलोय औषधीय गुणों से परिपूर्ण एक प्रकार की बेल है। जो आमतौर पर जंगलों-झाड़ियों में पाई जाती है। हमारे देश में प्राचीन काल से ही गिलोय को एक आयुर्वेदिक औषधि के रुप में इस्तेमाल किया जाता रहा है। उन्होंने बताया कि गिलोय की बेल जिस पेड़ पर चढ़ती है उसके गुणों को भी अपने अंदर समाहित कर लेती है, इसलिए नीम के पेड़ पर चढ़ी गिलोय की बेल को औषधि के लिहाज से सर्वोत्तम माना जाता है। गिलोय में गिलोइन नामक ग्लूकोसाइड और टीनोस्पोरिन, पामेरिन एवं टीनोस्पोरिक एसिड पाया जाता है। इसके अलावा गिलोय  में कॉपर, आयरन, फास्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैंगनीज भी पर्याप्त मात्रा में मिलते हैं।  

डॉ खलील खान ने बताया कि गिलोय(गुर्च) के सभी भाग जैसे पत्तियां, जड़ें और तना तीनो ही सेहत के लिए बहुत लाभदायक हैं, लेकिन बीमारियों के इलाज में सबसे ज्यादा उपयोग गिलोय के तने या डंठल का ही होता है। गिलोय की बेल या डंठल  को छोटे-छोटे टुकड़ों में काट कर रख लिया जाता है, इस प्रकार कई दिन तक इसका उपयोग किया जा सकता है। डॉक्टर खान ने बताया कि गिलोय में बहुत अधिक मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं साथ ही इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी और कैंसर रोधी गुण होते हैं। इन्हीं गुणों की वजह से यह कई रोगों जैसे बुखार, पीलिया, गठिया, डायबिटीज, कब्ज़, एसिडिटी, अपच, मूत्र संबंधी विकार आदि से राहत दिलाती है। उन्होंने कहा कि गिलोय हानिकारक टॉक्सिन से जुड़े रोगों को ठीक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। मधुमेह के रोगियों के लिये गिलोय बहुत ही अच्छी औषधि है। गिलोय टाइप-2 मधुमेह को नियंत्रित रखने में प्रभावकारी है। गिलोय जूस रक्त में शर्करा के बढे स्तर को कम करती है, इन्सुलिन का स्राव बढ़ाती है। डेंगू के इलाज में गिलोय का प्रयोग होता है। उन्होंने यह भी कहा कि डेंगू से बचने के घरेलू उपाय के रुप में गिलोय का सेवन करना सबसे ज्यादा प्रचलित है। डेंगू के दौरान मरीज को तेज बुखार होने लगते हैं। गिलोय में मौजूद एंटीपायरेटिक गुण बुखार को जल्दी ठीक करते हैं साथ ही यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढाने का काम करती है, जिससे डेंगू की बिमारी में जल्दी आराम मिलता है। उद्यान वैज्ञानिक ने कहा की पाचन संबंधी समस्याओं जैसे कि कब्ज़, एसिडिटी या अपच में गिलोय का सेवन बहुत फायदेमंद है। गिलोय का काढ़ा, पेट की कई बीमारियों को दूर रखता है इसके साथ ही खांसी होने पर एंटीएलर्जिक गुण होने के कारण यह खांसी से जल्दी आराम दिलाती है। मलेरिया और स्वाइन फ्लू जैसे रोगों में होने वाले बुखार से राहत दिलाने के लिए गिलोय का सेवन करना चाहिए। इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पीलिया के मरीजों को गिलोय के ताजे पत्तों का रस पिलाने से पीलिया जल्दी ठीक होता है। इसके अलावा इसके सेवन से पीलिया में होने वाले बुखार और दर्द से भी आराम मिलता है। गिलोय में एंटी-आर्थराइटिस गुण होते हैं। इन्हीं गुणों के कारण गिलोय गठिया से आराम दिलाने में कारगर होती है। खासतौर पर जो लोग जोड़ों के दर्द से परेशान रहते हैं उनके लिए गिलोय का सेवन करना काफी फायदेमंद रहता है। गिलोय में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होने के कारण यह सांसो से संबंधित रोगों से आराम दिलाने में प्रभावशाली है। गिलोय या गुडूची  कफ को नियंत्रित करती है साथ ही साथ शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाती है जिससे अस्थमा जैसे रोगों से बचाव होता है और फेफड़े स्वस्थ रहते हैं। लीवर संबंधी गंभीर रोगों से बचाव के लिये गिलोय का नियमित सेवन करना चाहिए । डॉक्टर खान ने बताया कि शरीर में खून की कमी होने से कई तरह के रोग होने लगते हैं जिनमें एनीमिया सबसे प्रमुख है। आमतौर पर महिलायें एनीमिया से ज्यादा पीड़ित रहती हैं। एनीमिया से पीड़ित महिलाओं के लिए गिलोय (गुर्च) रस काफी फायदेमंद है। गिलोय के रस के सेवन से शरीर में खून की कमी दूर होती है। गिलोय में प्रचुर मात्रा में औषधीय गुण होते हैं, इसलिए इसका ग्रामीण क्षेत्रों के साथ साथ शहरी क्षेत्रों में भी उपयोग किया जाता है। 

उद्यान वैज्ञानिक डॉ अरुण कुमार सिंह ने कहा कि शहरी क्षेत्रों में जहां जगह की कमी है, वहाँ भी इसे लगाया जा सकता है। इसको गमले में भी लगाया जा सकता है। नए पौधे लगाने के लिये गिलोय की बेल की कटिंग का प्रयोग किया जाता है। इसको लगाने के लिये बरसात का मौसम अच्छा होता है। एक गमले में 2- 3  कटिंग लगानी चाहिए।

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