इटावा। बीहड़ से लेकर संसद तक का सफर तय करने वाली दस्यु सुंदरी फूलन देवी के अपहरण के आरोपी रहे छेदा सिंह की मौत हो गई। एक समय ऐसा था जब छेदा सिंह की बीहड़ों में तूती बोलती थी। उसे 24 साल तक पुलिस गिरफ्तार नहीं कर पाई थी।
वह 1981 में हुए फूलन देवी के अपहरण में शामिल था। 24 साल बाद उसे गिरफ्तार किया गया था। वह चित्रकूट में बाबा के भेष में रह रहा था। उस वक्त उस पर 50 हजार रुपए का इनाम था। 27 जून को इटावा जेल में दाखिल किए जाने के बाद छेदा सिंह की तबीयत खराब हो गई थी। इसके बाद उसे सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान सैफई मेडिकल यूनिवर्सिटी में ही उसकी मौत हो गई। औरैया जिले के थाना अयाना के गांव भातौन के रहने वाले 65 वर्षीय छेदा सिंह को 26 जून, 2022 को चित्रकूट से गिरफ्तार किया गया था।
कुख्यात डकैत विक्रम मल्लाह के ठिकाने से फूलन देवी का अपहरण करने वाले लालाराम गैंग में छेदा सिंह भी शामिल था। गैंग के चंगुल से छूटने के बाद ही फूलन देवी ने बेहमई नरसंहार को अंजाम दिया था। लालाराम गैंग खत्म होने के बाद धीरे-धीरे गैंग समाप्त होने लगा था। तब छेदा सिंह ने भी अपना नाम और हुलिया बदला और चित्रकूट में रहने लगा। चित्रकूट में पहले वह काशी घाट में रहता था। पिछले दस वर्षों से जानकी कुंड के आराधना आश्रम में सेवादार बना हुआ था। डाकू छेदा सिंह के खिलाफ अलग-अलग थानों में 21 मुकदमे दर्ज थे। छेदा ने पुलिस को फूलन देवी के अपहरण से लेकर बेहमई नरसंहार तक की पूरी कहानी बताई थी। छेदा बढ़ती उम्र के साथ टीबी की बीमारी से भी जूझ रहा था।