के. एम. भाई दिलों में जुनून है और जुबां पे इन्कलाबसलामी के लिए उमड़ा हैबादलों का ये सैलाब …याद करके बलिदान तुम्हाराजश्न में डूबा है वतन सारा हर जुबां पे होगाइन्कलाब का नारा…जोश में भीगा है रक्त हमाराआज इंकलाबियों से सजेगा घर हमारा..दिलों में जूनून होगाऔर जुबाँ पे इंकलाब का नारा …इन्कलाब …
Read More »कुछ यूं समझे मौसम का मिजाज, दूर होंगी बीमारियां
गरिमा शुक्ला सर्दियां खत्म और गर्मियां शुरू हो चुकी हैं। बदलता हुआ यह सीजन बीमारियों को भरपूर दावत देता है। इस सीजन में कभी लोग बुखार से पीड़ित होते है तो कभी गले के इन्फेक्शन से। वही इस मौसम में पीलिया और टाइफाइड जैसी बीमारियों का खतरा भी बहुत होता …
Read More »कहीं आज जीत न जाए
के0 एम0 भाई जो अक्सर अँधेरे के साये में रहती हैं!!मैंने देखा है उन आँखों कोजो कभी आंसुओं से भीग जाती हैंतो कभी एक पहर को ठहर सी जाती हैजो सदियों से एक पलक भी नहीं झपकीजो कभी एकांत में सिसकती हैंऔर कभी शोर में भी शांत हो जाती हैंजो …
Read More »नारियां
दिनेश ‘दीप’ भावना से ओत प्रोत भाव रखें नारियां घर या उद्योग हो प्रभाव रखें नारियां बेदना के दिनों में भी फूल झरे नारियां मुस्कराती पांखुरी सी कंटको के बीच भी ममता भरी छांव दे के प्यार से हैं सींचती खून मे भी खुशबुओं का ताव रखें नारियां टूटता बिखरता जो इनसे संवरता वो देता …
Read More »वो गुब्बारा !!
के0 एम0 भाई वो गुब्बारा !!फूलता भी था औरहवा में उड़ता भी थाहर किसी के दिल मेंबसता भी थाकभी इधर तो कभी उधरकभी थोड़ा ऊपर तोकभी थोड़ा नीचेहर तरफ दौड़ता भी थापर एक शाम ऐसी आयीकि हर तरफखामोशी ही खामोशी छायी कुछ ऐसी रफ्तार आईकि जिंदगी मौत में समायी न गुब्बारा बचा …
Read More »दरवाजे की नीम नहीं अब, नहीं रही वो छाँव रे…!
दिनेश ‘दीप’ खट्टी मीठी यादें लेकर जब हम लौटे गांव रे दरवाजे की नीम नहीं अब नहीं रही वो छांव रे अम्मा का वो हमें जगाना और जिज्जी का कुआं को जाना जगते जगते फिर सो जाना तब नन्ना का वो चिल्लाना याद हमें चिड़ियों की चंह चंह कौवे की …
Read More »सम्मिलित तुझमे हो गई !
ज्योति सिंह अर्धांगनी बन तुम्हारी, मैं संगिनी हो गई साथ होकर मैं तुम्हारे, सम्मिलित तुझमे हो गई। बना सागर तुझे, मैं खुद नदिया बन गई छोड़ पर्वत जंगल, तुझसे आकर मिल गई भुला अपने गुण-अवगुण, तुम जैसी मैं हो गई साथ होकर मैं तुम्हारे, सम्मिलित तुझमे हो गई। लुटा प्रेम …
Read More »बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।
के0 एम0 भाई बावरा मन कहता है,बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।न कोई हिसाब हो न हो कोई व्यापार, ज़िन्दगी के सफर में… यूँ ही सपने सजाता रहूँ,बन भौरा मैं यूँ ही, खुशियां लुटाता रहूँ।न पथ की चिंता हो, न हो पथिक का इंतज़ार इंसानियत की राह पे…… …
Read More »हम फिर आवाज़ उठायेंगे..!
के.एम. भाई तुम तोड़ोतुम बांटोतुम रोकोहम जोड़ेंगेहम फिर खड़े होंगेहम फिर चलेंगेनारे भी लगेंगेझंडे भी लहराहेंगेअपने अधिकारों के लिएहम फिर आवाज़ उठायेंगे..एक एक करकेहम फिर साथ आएँगेचक्का भी जाम करेंगेधरना भी करेंगे हम अपनी आवाज़फिर बुलंद करेंगे..नारे भी लगेंगेझंडे भी लहराहेंगेअपने अधिकारों के लिएहम फिर आवाज़ उठायेंगे..हम फिर आवाज़ उठायेंगे..
Read More »हटिया खुली बजाजा बंद, गुरू झाड़े रहो कलट्टरगंज….. एक चिकाही
अजय पत्रकार की कलम से….. शीर्षक पढकर चौंकिए मत…सत्य है! हटिया खुली बजाजा बन्द, झाड़े रहो कलेक्टरगंज ये कहावत कानपुर के साथ जुड़ी है और लगभग पूरे देश में कानपुर से परिचित लोगों के मुंह से सुनने को मिलेगी।अटल जी भी पूरी मस्ती से कानपुर आने पर जरूर कहते थे। …
Read More »