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पारिस्थितिकी तंत्र को बहाल करना समय की मांग : डॉक्टर डी.आर. सिंह

कानपुर। चंद्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर. सिंह शनिवार   को विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर उत्तराखंड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी के पृथ्वी विद्यालय एवं पर्यावरण विज्ञान विभाग द्वारा एक दिवसीय पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली विषय पर आयोजित राष्ट्रीय वेबिनार में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित रहे। कुलपति डॉ. सिंह ने कहा कि आज पारिस्थिकी तंत्र एक बहुत बड़ी जरूरत बन गई है।

विश्वविद्यालय के डॉ. खलील खान ने बताया कि इस अवसर पर उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी तंत्र भौगोलिक भूभाग होता है। जहां पौधे, जानवर और अन्य जीव जंतु रहते हैं  इसमें मौसम भी शामिल है। यह सभी जीवित और निर्जीव इससे एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। उन्होंने कहा कि आंकड़े बताते हैं कि दुनिया के 45% वन्यजीव,12% पौधों की प्रजातियों में कमी आई है।यह आंकड़े बताते हैं कि हमारे बीच पेड़ों, बाघों, शेरों, हिरणों और अन्य अद्भुत वन्यजीवों की संख्या लगातार घट रही है या विलुप्त होने के कगार पर है। इससे प्राकृतिक संतुलन बिगड़ गया है। इसलिए पृथ्वी पर जीवन का संतुलन बनाए रखने के लिए जानवरों,पेड़ों और पौधों को संरक्षित करना बहुत जरूरी है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2021-30 को पारिस्थितिकी तंत्र की बहाली पर संयुक्त राष्ट्र दशक के रूप में घोषित किया है। इस अवसर पर देश की प्रख्यात पर्यावरणविद एवं वक्ताओं द्वारा पर्यावरण एवं उसके संरक्षण पर लेक्चर दिए गए ।

 इनमें पंतनगर कृषि विश्वविद्यालय की प्रोफेसर उमा मेलकानियाँ, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा के प्रोफ़ेसर दीपक पंत, हल्द्वानी की प्रोफेसर पी डी पंत, कार्यक्रम संयोजक डॉ एच जी जोशी उपस्थित रहे। जबकि कार्यक्रम की अध्यक्षता उत्तराखंड ओपन विश्वविद्यालय हल्द्वानी के कुलपति डॉ. ओ. पी. एस. नेगी ने की।

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