कानपुर। वर्तमान समय में कोविड-19 की दूसरी लहर के संक्रमण से पूरा देश जूझ रहा है। कोरोना वायरस का प्रकोप उन लोगों में ज्यादा हो रहा है जिनकी रोग-प्रतिरोधक क्षमता कम है। रोग से बचाव हेतु भारत सरकार के आयुष मंत्रालय लोगों को प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने पर जोर दे रहा है तथा आहार में प्रोटीन युक्त सूक्ष्म तत्वों से भरपूर चीजों को लेने का सुझाव दिया जा रहा है। ऐसे में चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर डी.आर.सिंह द्वारा कृषि वैज्ञानिकों को जारी निर्देश के क्रम में रविवार को दलीप नगर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशुपालन वैज्ञानिक डॉक्टर चंद्रकेश राय ने एडवाइजरी जारी की है। यहाँ पर यह सुझाव समसामयिक होगा कि यदि अपने आहार के साथ 250 ग्राम बकरी का दूध रोजाना लेना शुरू कर दें तो उनकी रोग प्रतिरोधी क्षमता तेजी से बढ़ सकती है। क्योंकि बकरी के दूध में 2.61- 4.1℅ प्रोटीन पायी जाती है तथा दिन भर जंगल में चरते समय बकरी अनेकों प्रकार की जड़ी-बूटियां तथा वनस्पतियां खाती रहती हैं। जिनमें लगभग हर तरह का सूक्ष्म तत्व पर्याप्त मात्रा में मौजूद होते हैं तथा बकरी का दूध किसी प्रकार की एलर्जी भी नहीं करता। इसे हर उम्र का व्यक्ति ले सकते है।डॉक्टर राय ने बताया कि बकरियों के दूध में गाय की तुलना में कैल्शियम-13%, विटामिन ए-25%, पोटाश-134%, नियासिन-3 गुना, तांबा-4 गुना तथा 27% एंटीऑक्सीडेंट (सेलेनियम) अधिक पाया जाता है। उन्होंने कहा कि अग्लुटनीन कंपाउंड न होने के कारण बकरी के दूध की वसा कण छोटे होने के कारण यह आसानी से पच जाता है। लैक्टोस इन्टॉलरेंस के मरीज भी इसे आसानी से पचा सकते हैं अर्थात जिन्हें दूध से एलर्जी है, वे भी इसे पी सकते हैं। पशु वैज्ञानिक ने कहा कि बकरी के दूध में भरपूर मात्रा में सेलेनियम होने के कारण ग्लूटाथियोन की उपलब्धता बढ़ जाती है। जिस कारण बकरी का दूध कैंसर के रोगियों के लिए भी काफी फायदेमंद सिद्ध हुआ है। तथा बकरी के दूध के सेवन से प्रतिरोध क्षमता तेजी से बढ़ती है, जिससे खून में प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से वृद्धि के कारण ही यह डेंगू बुखार उपचार में सफल रहा है तथा शहरी क्षेत्रों में इसकी मांग बहुत तेजी से बढ़ी है।
डॉ राय ने जोर देकर बताया कि बकरी के दूध में गाय के दूध की तुलना में 4-5 गुना ओलिगोसैकेराइड (250-300 मि० ग्रा०/ लीटर) ज्यादा पाए के कारण यह प्रीबायोटिक गुणों से भरपूर होता है। प्रीबायोटिक तत्वों से पूर्ण होने के कारण यह किसी भी उम्र के व्यक्ति को दिया जा सकता है, जो कि आसानी से पच जाता है। उन्होंने बकरी के दूध में वैज्ञानिक तथ्य प्रस्तुत करते हुए बताया कि मोनोअनसैचुरेटेड, पॉलीअनसेचुरेटेड फैटी एसिड एवं मीडियम चैन ट्राई ग्लिसेराईड की उपलब्धता के कारण यह हृदय रोगियों के लिए भी अनुमोदित है, तथा वर्ष 2004 में वैज्ञानिक अनुसंधान के दरमियान फेफड़ों से संबंधित बीमारियों के इलाज में भी बकरी के दूध का प्रयोग सफलता पूर्वक किया जा चुका है। इस प्रकार बकरी के दूध को यदि नियमित रूप से प्रयोग किया जाए तो हर उम्र के लोगो की प्रतिरोध क्षमता बढ़ा कर कोरोना रोग को कम किया जा सकता है।
डॉक्टर चंद्रकेश राय ने अपील की है कि यदि 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को नियमित 250 ग्राम बकरी का दूध पिलाना शुरू कर दिया जाए तो तथाकथित कोरोना की आने वाली तीसरी लहर से नौनिहालों को सफलता से बचाया जा सकता है। उन्होंने बकरी के दूध को प्रयोग विधि के बारे में बताया कि दूध को बारीक़ कपड़े या छन्नी से छान कर; 3-4 बार उबाल लेने के बाद ठंडा करके रख लें। पीने से पहले थोड़ा गर्म करके सादा या दूध में हल्दी पाउडर मिला कर पीने पर इसकी प्रतिरोध क्षमता कई गुना बढ़ जाती है। छोटे बच्चों में इसका सेवन विशेष लाभप्रद है।