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महालया अमावस्या : देवी पार्वती कैलाश पर्वत से अपनी शक्तियों और नौ रूपों में पृथ्वी पर आती हैं

महालया अमावस्या का हिंदू धर्म में काफी महत्व है। इस दिन को नवरात्रि और पितृ पक्ष का संधिकाल कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि आज धरती पर मां दुर्गा का आगमन होता है। इसके अगले दिन यानी प्रतिपदा पर शारदीय नवरात्रि की शुरुआत होती हैइस साल कल यानी 07 अक्टूबर से नवरात्रि प्रारंभ होने जा रही है। 

महालया का महत्व 

बंगाल के लोग महालया का साल भर से इंतजार करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि महालया के साथ श्राद्ध खत्म हो जाते हैं और देवी पार्वती कैलाश पर्वत से अपनी शक्तियों और नौ रूपों में पृथ्वी पर आती हैं। पृथ्वी को देवी पार्वती का मायका कहा जाता है। माता अपने मायका में आती हैं और नवरात्र के नौ दिनों में पृथ्वी पर वास करते हुए आसुरी शक्तियों का भी नाश करती हैं।

महालया के दिन ही मूर्तिकार मां दुर्गा की आंखें तैयार करते हैं। इसके बाद से मां दुर्गा की मूर्तियों को अंतिम रूप दिया जाता है। दुर्गा पूजा में मां दुर्गा की प्रतिमा का विशेष महत्व है और यह पंडालों की शोभा बढ़ाती हैं। दुर्गा पूजा आश्विन मास के शुक्ल पक्ष में मनाया जाता है। इस बार यह 7 अक्टूबर से शुरू हो रहा है जबकि मां दुर्गा की विशेष पूजा 11 अक्टूबर से शुरू होकर 15 अक्टूबर दशमी तक चलेगी। 

मान्यताओं के अनुसार महालया 

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार ब्रह्मा, विष्णु और महेश ने अत्याचारी राक्षस महिषासुर के संहार के लिए मां दुर्गा का सृजन किया। महिषासुर को वरदान मिला हुआ था कि कोई देवता या मनुष्य उसका वध नहीं कर पाएगा। ऐसा वरदान पाकर महिषासुर राक्षसों का राजा बन गया और उसने देवताओं पर आक्रमण कर दिया। देवता युद्ध हार गए और देवलोक पर महिषासुर का राज हो गया। महिषासुर से रक्षा करने के लिए सभी देवताओं ने भगवान विष्णु के साथ आदि शक्ति की आराधना की। इस दौरान सभी देवताओं के शरीर से एक दिव्य रोशनी निकली जिसने देवी दुर्गा का रूप धारण कर लिया। शास्त्रों से सुसज्जित मां दुर्गा ने महिषासुर से नौ दिनों तक भीषण युद्ध करने के बाद 10वें दिन उसका वध कर दिया। दरअसल, महालया मां दुर्गा के धरती पर आगमन का द्योतक है। मां दुर्गा को शक्ति की देवी माना जाता है। 

इस वर्ष नवरात्रि के नौ दिन की तिथियां

  • 7 अक्टूबर, गुरुवार – प्रतिपदा घटस्थापना और माँ शैलपुत्री पूजा
  • 8 अक्टूबर, शुक्रवार -द्वितीय माँ ब्रह्मचारिणी पूजा
  • 9 अक्टूबर, शनिवार – तृतीया और चतुर्थी माँ चंद्रघंटा पूजा और माँ कुष्मांडा पूजा
  • 10 अक्टूबर, रविवार – पंचमी माँ स्कंदमाता पूजा
  • 11 अक्टूबर, सोमवार – षष्ठी माँ कात्यायनी पूजा
  • 12 अक्टूबर, मंगलवार – सप्तमी माँ कालरात्रि पूजा
  • 13 अक्टूबर, बुधवार -अष्टमी माँ महागौरी पूजा
  • 14 अक्टूबर, गुरुवार -नवमी माँ सिद्धिदात्री पूजा
  • 15 अक्टूबर, शुक्रवार -दशमी नवरात्रि पारण/दुर्गा विसर्जन

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