मोनिका वर्मा
हिंदू धर्म के लोगों के लिए जन्माष्टमी का पर्व बेहद ही खास होता है। देश- दुनिया में भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव बड़े ही धूम- धाम से मनाया जाता है। हिंदू पंचांग के अनुसार भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि और रोहिणी नक्षत्र में मनाया जाता है। ये तिथि इस बार 30 अगस्त को पड़ रही है जिस कारण इसी दिन कृष्ण जन्माष्टमी मनाई जाएगी। इस साल जन्माष्टमी के त्योहार पर हर्षण योग बन रहा है। ज्योतिष अनुसार ये योग शुभ और मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है इस योग में किये जाने वाले कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस दिन लोग व्रत रखते हैं। भजन-कीर्तन करते हैं। विधिपूर्वक कृष्ण भगवान की पूजा अर्चना की जाती है। कृष्ण भगवान के जन्म की कथा सुनी जाती है। लोग अपने घरों को सजाते हैं। इस दिन कृष्ण जी के मंदिरों में एक अलग ही रौनक देखने को मिलती है। कई जगह कृष्ण जी की लीलाओं का प्रदर्शन भी किया जाता है। क्योंकि भगवान कृष्ण का जन्म मध्य रात्रि में हुआ था इसलिए रात में ही भगवान कृष्ण के बाल स्वरूप को नहलाया जाता है और उन्हें नए वस्त्र अर्पित किए जाते हैं। इस दिन बाल गोपाल को पालने में झुलाने की भी परंपरा है।
ऐसे करें श्री कृष्ण की मूर्ति का चुनाव
सामान्यतः जन्माष्टमी पर बाल कृष्ण की स्थापना की जाती है। आप अपनी आवश्यकता और मनोकामना के आधार पर जिस स्वरूप को चाहें स्थापित कर सकते हैं। प्रेम और दाम्पत्य जीवन के लिए राधा कृष्ण की, संतान के लिए बाल कृष्ण की और सभी मनोकामनाओं के लिए बंशी वाले कृष्ण की स्थापना करें। जन्माष्टमी पर शंख और शालिग्राम की स्थापना भी कर सकते हैं।
पूजन सामग्री एवं पूजा विधि
खीरा, शहद, पीले या लाल रंग का साफ़ कपड़ा, दूध, दही, एक साफ़ चौकी, पंचामृत, गंगाजल, बाल कृष्ण की मूर्ति, चंदन, धूप, दीपक, अगरबत्ती, अक्षत, मक्खन, मिश्री, तुलसी का पत्ता, और भोग की सामग्री।
सुबह जल्दी उठकर घर के मंदिर को अच्छे से साफ कर लें। फिर एक साफ चौकी पर पीले रंग का वस्त्र बिछाएं और चौकी पर बाल गोपाल की प्रतिमा स्थापित करें। इस दिन बाल गोपाल की अपने बेटे की तरह सेवा करें। उन्हें झूला झुलाएं। लड्डू और खीर का भोग लगाएं। रात 12 बजे के करीब भगवान कृष्ण की विधि विधान पूजा करें। उन्हें घी, मिश्री, माखन, खीर इत्यादि चीजों का भोग लगाएं। कृष्ण जी के जन्म की कथा सुने। उनकी आरती उतारें और अंत में प्रसाद सबको वितरित कर दें।
भूलकर भी जन्माष्टमी के दिन न करें ये काम
- किसी का भी अमीर-गरीब के रूप में अनादर या अपमान न करें। लोगों से विनम्रता और सहृदयता के साथ व्यवहार करें। भेदभाव करने से जन्माष्टमी का पुण्य नहीं मिलता है।
- शास्त्रों के अनुसार, एकादशी और जन्माष्टमी के दिन चावल या जौ से बना भोजन नहीं खाना चाहिए। चावल को भगवान शिव का रूप भी माना गया है।
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, जन्माष्टमी का व्रत करने वाले को भगवान श्रीकृष्ण के जन्म होने तक यानी रात 12 बजे तक ही व्रत का पालन करना चाहिए। इससे पहले अन्न का सेवन नहीं करना चाहिए। बीच में व्रत तोड़ने वालों को व्रत का फल नहीं मिलता।
- मान्यता है कि जन्माष्टमी के दिन स्त्री-पुरुष को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। ऐसा न करने वालों को पाप लगता है।
- मान्यता है कि भगवान श्रीकृष्ण को गौ अति प्रिय हैं। इस दिन गायों की पूजा और सेवा करने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। किसी भी पशु को सताना नहीं चाहिए।
- मान्यता है कि जिस घर में भगवान की पूजा की जाती हो या कोई व्रत रखता हो उस घर के सदस्यों को जन्माष्टमी के दिन लहसुन और प्याज जैसी तामसिक चीजों का प्रयोग नहीं करना चाहिए। इस दिन पूरी तरह से सात्विक आहार की ग्रहण करना चाहिए।
कब है शुभ मुहूर्त
अष्टमी तिथि 29 अगस्त को रात 11 बजकर 25 मिनट पर शुरू होगी और 31 अगस्त की रात 1 बजकर 59 मिनट पर समाप्त होगी। रोहिणी नक्षत्र 30 अगस्त को सुबह 6 बजकर 39 मिनट पर प्रारंभ होगा, जो कि 31 अगस्त को सुबह 09 बजकर 44 मिनट पर समाप्त होगा। पूजा का समय 30 अगस्त की रात 11 बजकर 59 मिनट से 12 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। पूजा के शुभ समय की कुल अवधि 45 मिनट की है।