लखनऊ। भाषा विश्विद्यालय, लखनऊ के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में छात्र छात्राओं को शिक्षा एवं …
Read More »दरवाजे की नीम नहीं अब, नहीं रही वो छाँव रे…!
दिनेश ‘दीप’ खट्टी मीठी यादें लेकर जब हम लौटे गांव रे दरवाजे की नीम नहीं अब नहीं रही वो छांव रे अम्मा का वो हमें जगाना और जिज्जी का कुआं को जाना जगते जगते फिर सो जाना तब नन्ना का वो चिल्लाना याद हमें चिड़ियों की चंह चंह कौवे की …
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